Saturday, November 3, 2012

घोटालो का बाजार गर्म है

घोटालो का बाजार गर्म है , आरोपों के इस दौर में सत्ता बेशर्म है
नेता जी बोले की गलत क्या है, आरोप लगाना तो इनका धर्म है

इसमें कोई सच्चाई नहीं है ,सब के सब ये आरोप बेबुनियाद
आजकल कितना कुटिल लगता है ये किसी मंत्री का संवाद

सुनते ही समझ जाइये की किसी घोटाले की खबर छाई है
सफाई देते नेता जी और समर्थन में पूरी पार्टी आई है

देखिये हम निष्पक्ष और न्यायिक जांच की मांग करते है
आजकल ये शब्द चमचो और प्रवक्ताओ को बड़े प्रिय लगते है


घोटालो का बाजार गर्म है , आरोपों के इस दौर में सत्ता बेशर्म है
नेता जी बोले की गलत क्या है, आरोप लगाना तो इनका धर्म है

मनगढ़त है ये सब आंकड़े ये हिसाब , सब आरोप है निराधार
नेता है व्यापारी भी पर सफ़ेद है हमारा काले कोयले का व्यापर

ये शब्द सुनते ही वर्मा जी बोले आज किसकी बारी है
किसका दामाद किसका साला है, मंत्री है की व्यापारी है

मैं समाजसेवी हूँ , व्यर्थ है आरोप और कथित भ्रष्टाचार
समाज की सेवा की आड़ में काला है इनका कारोबार


घोटालो का बाजार गर्म है , आरोपों के इस दौर में सत्ता बेशर्म है
नेता जी बोले की गलत क्या है, आरोप लगाना तो इनका धर्म है

सुना है पार्टी ने नेताओ के लिए कोई कोचिंग सेण्टर खोला है
लगता है भ्रष्टाचार की लड़ाई लड़ने के लिए हल्ला बोला है

नहीं हैरान मत होना इस संस्थान का उद्देश्य कुछ और है
यहाँ पढने वालो नेताओ के पास सब आरोपों का तोड़ है

आप इनको किसी भी चैनल पर बहस करते पाएंगे
सब रट्टू तोते की तरह घंटो एक ही बात दोहरायेंगे


घोटालो का बाजार गर्म है , आरोपों के इस दौर में सत्ता बेशर्म है
नेता जी बोले की गलत क्या है, आरोप लगाना तो इनका धर्म है

मुस्कान के साथ मंत्री जी बोलते है की कोर्ट में जायेंगे
मानहानि  का मुकदमा करके तुमको जेल भिजवाएंगे

स्वयं को छोड़ सभी को को नैतिकता का पाठ पढाते है
हम व्यर्थ गंगा नहाते है इनके पाप तो नोटों से धुल जाते है

कर्णप्रिय थे जो शब्द अब कर्कश और कटु लगते है
जो थे आदर्श कभी वो नेता अब दानव से दिखते है


घोटालो का बाजार गर्म है , आरोपों के इस दौर में सत्ता बेशर्म है
नेता जी बोले की गलत क्या है, आरोप लगाना तो इनका धर्म है

पांच साल लुटने के बाद भी अगले पांच सालो के लिए तैयार है
नेताओ से लुटना तो अब जैसे हमारा जन्म सिद्ध अधिकार है

गलत तो मैं और आप है जो इन सबके बीच उम्मीद लगाये है
परिवर्तन हो इस व्यवस्था में आशाओं की ज्योति जलाये है

हम सब स्वयं को छोड़ सारी दुनिया से आस लगाते है
लिविंग रूम में बैठ के जग परिवर्तन के सपने सजाते है


घोटालो का बाजार गर्म है , आरोपों के इस दौर में सत्ता बेशर्म है
नेता जी बोले की गलत क्या है, आरोप लगाना तो इनका धर्म है